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बीए सेमेस्टर-1 अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :225
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2629
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 अर्थशास्त्र के प्रश्नोत्तर

प्रश्न- आर्थिक प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इनके प्रकार समझाइये। विभिन्न आर्थिक प्रणालियों में आने वाली समस्याएँ कौन-सी हैं तथा इनमें समस्याओं का समाधान बताइये।

उत्तर -

आर्थिक प्रणाली की परिभाषा

श्रीमती जॉन रॉबिन्सन के अनुसार, "किसी भी आर्थिक प्रणाली को नियमों के एक समूह की, उनके औचित्य को प्रमाणित करने के लिए एक विचारधारा की तथा व्यक्ति के विवेक की जिसके द्वारा उसे पूरा करने के लिए प्रयत्न कर सके. की आवश्यकता होती है।'

मैनुअल गौटलिब के अनुसार, "आर्थिक प्रणाली मनुष्य के जटिल सम्बन्धों के उन तरीकों का अध्ययन है जिसके द्वारा व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए सीमित संसाधनों का प्रयोग किया जाता है।"

लॉक्स के अनुसार, "आर्थिक प्रणाली अर्थव्यवस्था का एक ऐसा संगठन है जिसके द्वारा सुलभ उत्पादन साधनों का प्रयोग करके मानव आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है। आर्थिक प्रणाली में उन संस्थाओं का समावेश होता है जिन्हें कोई मानव समुदाय अथवा कोई राष्ट्र समूह ऐसे साधनो के रूप में अपनाता है या स्वीकार करता है जिनमें मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उसके संसाधनो का प्रयोग किया जा सके।'

ए. जे. ब्राउन के अनुसार, “आर्थिक प्रणाली एक प्रक्रिया अथवा क्रम है जिसके अन्तर्गत मनुष्य आय प्राप्त करने की चेष्टा करता है।'

प्रो. हिक्स के अनुसार, "किसी भी स्थिति में आर्थिक प्रणाली की कल्पना उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं (सामूहिक आवश्यकताओं सहित) की सन्तुष्टि के लिए उत्पादकों के सहयोग के रूप में अथवा पारस्परिक विनिमय की व्यवस्था के रूप में कर सकते हैं।'

आर्थिक प्रणालियों के प्रकार
(Types of Economic Systems)

जॉन एस. प्राइबिला के अनुसार आर्थिक प्रणाली का वर्गीकरण निम्नलिखित है।-

(i) पूर्ण प्रतियोगी बाजार प्रतिरूप-पूँजीवाद (Perfectly Competitive Market Model-Capitalism)-

जॉन प्राइबिला के अनुसार पूँजीवादी आर्थिक प्रणाली में निम्नलिखित विशेषताएँ बतायी गयी हैं:

1. उत्पत्ति के साधनों पर व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों का अधिकार होता है।

2. व्यक्तिगत इकाइयाँ अपनी इच्छानुसार परस्पर विनिमय सम्बन्ध स्थापित करती हैं। उपयोग क्षेत्र और उत्पादन क्षेत्र परस्पर विनिमय द्वारा सम्बन्धित होते हैं जहाँ भूमि, पूँजी, श्रम, साहस का लेन-देन होता है।

3. विनिमय सम्बन्ध का केन्द्रीय बिन्दु कीमत सयन्त्र है जिसके अनुसार माँग और पूर्ति दो बल स्वतन्त्र रूप से क्रिया करते हुए सन्तुलन कीमत निर्धारित करते हैं।

4. कीमत संयन्त्र उपभोक्ता वरीयता के अनुसार ही साधनो का आवण्टन नहीं करता बल्कि साथ-ही-साथ संसाधनों के अनुकूलतम आवण्टन को भी सम्भव बनाता है। कीमत संयन्त्र की इस प्रक्रिया में प्रत्येक आर्थिक इकाई अधिकतम प्रतिफल प्राप्त करने की चेष्टा करती है। जिसके कारण समुदाय के संसाधनों का कुशलतम आवण्टन सम्भव हो पाता है।

इस प्रकार पूँजीवाद अर्थात् पूर्ण प्रतियोगी बाजार संरचना वाली आर्थिक प्रणाली में व्यक्तिगत सम्पत्ति का अधिकार, व्यक्तिगत स्वतन्त्रता एवं स्वतन्त्र कार्य करने वाला कीमत संयन्त्र सम्मिलित होते हैं, जो समुदाय के संसाधनों से अनुकूलतम परिणाम प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं। इस आर्थिक प्रणाली में 'अहस्तक्षेप नीति' का पालन किया जाता है। हैं

(ii) पूर्ण नियन्त्रित प्रतिरूप-समाजवाद (Absolute Command Model Socialism)-

प्राइबिला ने आर्थिक प्रणाली के पूर्ण नियन्त्रित मॉडल के निम्नलिखित लक्षण बताए हैं-

1. सरकार का सभी उत्पत्ति के साधनों पर पूर्ण अधिकार होता है।

2. सरकार स्वयं समाज के संसाधनों का आवण्टन निश्चित उद्देश्यों के लिए करती है। सरकार यह भी निर्धारण करती है कि किस वस्तु का कितना उत्पादन किया जायेगा, किस उत्पादन रीति से किया जाएगा, किस उत्पादन लागत पर किया जायेगा और किस स्थान पर किया जायेगा। सरकार ग्रह सुनिश्चित करती है कि प्रशासन तन्त्र के द्वारा इन सभी निर्धारित उद्देश्यों का पूर्ण अनुपालन किया जाये।

3. जनता के मध्य वस्तुओं और सेवाओं का विभाजन सरकार द्वारा भौतिक राशनिंग प्रणाली द्वारा होता है।

4. विभिन्न कार्यों और सेवाओं मे श्रम का आवण्टन भी आवश्यकतानुसार सरकार द्वारा किया जाता है और श्रम की सेवाओ का पुरस्कार तथा कार्य अवधि का निर्धारण भी इस संस्था द्वारा इस प्रकार किया जाता है कि श्रम का शोषण न हो पाये।

5. समाजवाद में सैद्धान्तिक रूप से मुद्रा का कोई स्थान नही होता है। मुद्रा केवल विनिमय का माध्यम और हिसाब की वस्तु होती है जिसका प्रयोग उत्पादन की इकाइयों की क्षमता की गणना में किया जाता है।

उपर्युक्त विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि पूर्ण नियन्त्रित मॉडल वाली आर्थिक प्रणाली में उत्पत्ति के साधनों पर सार्वजनिक अधिकार (Public Ownership) होता है और उत्पादन की प्रक्रिया में व्यक्तिगत लाभ का उद्देश्य पूर्णरूप अनुपस्थित रहता है। इस प्रणाली में सामाजिक कल्याण (Social Welfare) की विचारधारा ही केन्द्रीय प्राधिकरण की नीति निर्धारण में आधार प्रदान करती है। इस प्रणाली में आर्थिक नियोजन इस प्रकार होता है कि देश की आवश्यकताओं के अनुसार साधनों का अनुकूलतम आवण्टन हो जाय।

(iii) मिश्रित प्रणाली (Mixed System)-

प्राइबिला के अनुसार अब वास्तविक रूप में किसी भी देश की आर्थिक प्रणाली न तो पूर्णरूपेण पूर्ण स्पर्धा बाजार प्रतिरूप वाली है और न ही पूर्ण नियन्त्रिण मॉडल वाली। इस प्रकार आधुनिक आर्थिक प्रणालियों इन दोनों प्रणालियों से मिल-जुलकर बनी हैं। आर्थिक प्रणाली में विशुद्ध पूँजीवाद और विशुद्ध साम्यवाद की पूर्णता नहीं होती बल्कि इन दोनों प्रणालियों की अपूर्णता के मिले-जुले स्वरूप को मिश्रित प्रणाली माना जाता है। आजकल अधिकांश अर्थ-व्यवस्थाओं में मिश्रित आर्थिक प्रणाली अपनाकर पूँजीवाद और साम्यवाद प्रणालियों के अच्छे गुणों की मिली-जुली स्थिति होती है।

अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ
(Central Problems of an Economy)
अथवा
(Functions of Economic System)

प्रत्येक आर्थिक प्रणाली को कुछ आधारभूत समस्याओं का समाना करना पडता है। प्रत्येक आर्थिक प्रणाली को कुछ महत्वपूर्ण निर्णय करने पड़ते हैं जिन्हें आर्थिक प्रणाली के कार्य कहा जा सकता है। प्रो. सेम्युलसन के अनुसार, "प्रत्येक आर्थिक प्रणाली को किसी-न-किसी प्रकार तीन प्रमुख आर्थिक समस्याओं का समाधान करना पडता है।"

सेम्युलसन ने आर्थिक प्रणाली के निम्नांकित मुख्य कार्य बताये हैं

• क्या उत्पादन किया जाये?

• कैसे उत्पादन किया जाये?

• किसके लिए उत्पादन किया जाये?

प्रो. नाइट ने आर्थिक प्रणाली के निम्नलिखित कार्य बताए हैं-

• उपयोग स्तर को तय करना

• उत्पादन के संगठन के स्वरूप को तय करना

• उत्पादन का वितरण करना,

• आर्थिक विकास की व्यवस्था करना,

• अल्पकाल में उपयोग का उत्पादन से समायोजन करना।

प्रत्येक आर्थिक प्रणाली के मुख्य कार्यों को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है

• क्या उत्पादन किया जाय? (What to Produce) : इस समस्या का समाधान करते समय आर्थिक प्रणाली साधनों की उपलब्धता, माँग के आधार, उत्पादन तकनीक, तथा सामाजिक प्राथमिकता को ध्यान में रखती है।

पूँजीवादी- प्रणाली में इस समसस्या का समाधान माँग और पूर्ति की शक्तियों द्वारा स्वतन्त्र रूप से किया जाता है। जिन वस्तुओं की उपभोक्ता अधिक माँग करते है उन वस्तुओं का अधिक उत्पादन किया जायेगा तथा इसके विपरीत जिस वस्तु की उपभोक्ता कम माँग करते हैं उन वस्तुओं का कम उत्पादन किया जायेगा।

समाजवादी- आर्थिक प्रणाली में किस क्षेत्र में कितना उत्पादन किया जाय, इसका निर्णय सरकार अधिकतम सामाजिक लाभ के आधार पर स्वयं करती है।

मिश्रित- आर्थिक प्रणाली मे किस क्षेत्र में कितना उत्पादन किया जाये, इसका निर्णय नियन्त्रित कीमत प्रणाली और सरकारी आदेशों के समन्वित उपयोग से होता है। इस प्रणाली में उत्पादन के आकार का निर्धारण निजी क्षेत्र में कीमत संयन्त्र द्वारा और सार्वजनिक क्षेत्र में सरकारी आदेश द्वारा होता है।

• उत्पादन कैसे किया जाये? (How to Produce?)- प्रत्येक आर्थिक प्रणाली में इस समस्या के हल के लिए उत्पत्ति के साधनों का ऐसा अनुकूलतम संयोग प्राप्त करना होता है, जो सर्वोत्तम हो। उत्पादन कैसे किया जाये? इस समस्या में तकनीक का चुनाव अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस समस्या का हल साधनो की उपलब्धि और उनकी उत्पादकता पर निर्भर करता है। वस्तुओं की उत्पादन की स्थानात्पत्र तकनीकों में से उस तकनीक का चुनाव किया जायेगा जो उपलब्ध साधनों के अनुकूलतम प्रयोग करते हुए अधिकतम उत्पादन करने वाली हो।

• किसके लिए उत्पादन किया जाय? (For Whom to Produce?) ये अलग-अलग आर्थिक प्रणालियों राष्ट्रीय उत्पादन के वितरण की रीतियाँ अलग-अलग होती है। पूँजीवाद में सामूहिक उत्पत्ति का वितरण कीमत प्रणाली द्वारा होता है।

समाजवादी आर्थिक प्रणाली में उत्पादन का वितरण व्यक्ति की कार्य-कुशलता एवं सामाजिक न्याय के आधार पर होता है। उत्पत्ति के साधनों पर सरकार का अधिपत्य होने से अनार्जित आय का कोई स्थान नहीं होता तथा सरकार न्यूनतम मजदूरी दरें तय करके वितरण को न्यायोचित करती है। 

मिश्रित अर्थव्यवस्था में वितरण का आधार साधनों की मात्रा, साधनों का मूल्य और उनकी कार्य कुशलता होती है और कीमत संयन्त्र भी वितरण के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका होता है, किन्तु वितरण में न्याय के लिए सरकार हस्तक्षेप करती है।

• भविष्य सम्बन्धी निर्णय (Decisions Relating to Future)- पूँजीवादी व्यवस्था के अन्तर्गत भविष्य सम्बन्धी फैसले और आर्थिक अनुरक्षण कीमत संयन्त्र पर निर्भर करते हैं प्रतियोगी कीमतों के कारण विस्तार और विकास की प्रक्रिया चलती रहती है और आर्थिक अनुरक्षण के लिए कीमत ह्रास को लागत में शामिल कर लिया जाता है ताकि उत्पादन क्षमता का एक निश्चित स्तर बना रहे।

समाजवादी व्यवस्था में यह कार्य केन्द्रीकृत नियोजन प्राधिकरण करता है। सरकार आर्थिक नीतियों का क्रियान्वयन अधिकतम सामाजिक कल्याण के उद्देश्य से करती है।

मिश्रित अर्थव्यवस्था में यह कार्य कीमत संयन्त्र और नियोजन दोनों मिलकर करते हैं।

अल्पकाल में उपभोग का उत्पादन से समायोजन
(Short Run Adjustment between Consumption and Production)-

पूँजीवादी व्यवस्था में उपभोग का उत्पादन से समायोजन स्वत ही हो जाता है।

समाजवादी प्रणाली में अल्पकालीन माँग और पूर्ति के असन्तुलन को दूर करने हेतु राशनिंग की मदद ली जाती है। सरकार नियन्त्रिण कीमतों पर वस्तुओं का वितरण करती है।

मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार अभावग्रस्त और सीमित पूर्ति वाली वस्तुओं के मूल्य तय कर देती है और कुछ अनिवार्य वस्तुओं के लिए राशनिंग करके नियन्त्रित मूल्यों पर वस्तुओं का वितरण करके अल्पकालीन मॉग और पूर्ति मे सामंजस्य लाती है।

आर्थिक प्रणालियों की सफलता के सम्बन्ध में हॉम का विचार है कि "यदि आर्थिक प्रणालियों को सफल होना है तो उनके सुनिश्चित लक्ष्य और लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सुनिश्चि नीतियाँ हो।'

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- व्यष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं?
  2. प्रश्न- उत्पादन सम्भावना वक्र व अवसर लागत को समझाइये।
  3. प्रश्न- आर्थिक प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इनके प्रकार समझाइये। विभिन्न आर्थिक प्रणालियों में आने वाली समस्याएँ कौन-सी हैं तथा इनमें समस्याओं का समाधान बताइये।
  4. प्रश्न- आर्थिक प्रणाली की परिभाषा दीजिए।
  5. प्रश्न- आर्थिक प्रणालियों के प्रकार समझाइये।
  6. प्रश्न- आर्थिक प्रणाली के कार्य अथवा अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ इंगित कीजिए। विभिन्न आर्थिक प्रणालियों में इनका समाधान कैसे होता है?
  7. प्रश्न- "चुनाव की समस्या एक आर्थिक समस्या है।' स्पष्ट कीजिए।
  8. प्रश्न- चुनाव की समस्या को एक मितव्ययिता की समस्या क्यों कहा जाता है?
  9. प्रश्न- चुनाव की समस्या क्या है?
  10. प्रश्न- चुनाव की समस्या के आधार बताइए।
  11. प्रश्न- सूक्ष्म एवं व्यापक अर्थशास्त्र में भेद कीजिए।
  12. प्रश्न- दुर्लभता की समस्या बताइये।
  13. प्रश्न- माँग से आप क्या समझते हैं? इसके कितने प्रकार होते हैं?
  14. प्रश्न- माँग से आप क्या समझते हैं?
  15. प्रश्न- माँग के प्रकार बताइए।
  16. प्रश्न- माँग तालिका से आप क्या समझते हैं? माँग तालिका तथा माँग वक्र में सम्बन्ध बताइए।
  17. प्रश्न- माँग तालिका से आप क्या समझते हैं?
  18. प्रश्न- माँग तालिका तथा माँग वक्र में सम्बन्ध बताइए।
  19. प्रश्न- माँग के नियम की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए। इस नियम की सीमाएँ क्या हैं?
  20. प्रश्न- माँग के नियम का क्या अर्थ है?
  21. प्रश्न- माँग के नियम की मान्यताएँ बताइए।
  22. प्रश्न- माँग के नियम की सीमाएँ बताइए।
  23. प्रश्न- पूर्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  24. प्रश्न- पूर्ति तालिका किसे कहते है?
  25. प्रश्न- पूर्ति तालिका कितने प्रकार की होती है?
  26. प्रश्न- पूर्ति का अर्थ स्पष्ट करते हुए यह बताइए कि पूर्ति तालिका किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार की होती है?
  27. प्रश्न- पूर्ति वक्र किसे कहते हैं?
  28. प्रश्न- पूर्ति वक्र की मान्यताएं लिखिए।
  29. प्रश्न- पूर्ति वक्र किसे कहते है? इसकी मान्यताएं भी बताइए।
  30. प्रश्न- माँग के नियम के लागू होने के कारण सचित्र समझाइए।
  31. प्रश्न- क्या माँग-वक्र ऊपर भी उठ सकता है?
  32. प्रश्न- पूर्ति की रेखा ऊपर की ओर क्यों जाती है?
  33. प्रश्न- बाजार सन्तुलन को समझाइए।
  34. प्रश्न- माँग को प्रभावित करने वाले प्रमुख घटकों का उल्लेख कीजिए।
  35. प्रश्न- माँग में विस्तार एवं माँग में वृद्धि को सचित्र समझाइए।
  36. प्रश्न- 'आय माँग वक्र' घनात्मक ढाल व्याख्या क्यों होता है?
  37. प्रश्न- बाजार बनाम व्यक्तिगत मांग' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- पूर्ति में परिवर्तन से क्या आशय है?
  39. प्रश्न- पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्वों को बताइए।
  40. प्रश्न- शून्य ढाल को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- माँग की लोच को समझाइए।
  42. प्रश्न- माँग की कीमत लोच के भेद या श्रेणियाँ बताइये।
  43. प्रश्न- माँग की लोच को समझाइए तथा माँग की कीमत लोच की श्रेणियों की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- माँग की लोच मापने की आनुपातिक विधि को बताइये।
  45. प्रश्न- माँग की लोच मापने की कुल व्यय विधि का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- माँग की लोच मापने की बिन्दु विधि का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- माँग की लोच मापने की सीमान्त आगम तथा औसत आगम विधि का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- माँग के नियम तथा माँग की लोच में अन्तर स्पष्ट कीजिए। माँग की लोच को कैसे मापा जा सकता है?
  49. प्रश्न- माँग की मूल्य सापेक्षता के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  50. प्रश्न- "माँग की कीमत, लोच, आय और प्रतिस्थापन-लोच के बीच एक प्रकार की सन्धि है।' स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- माँग की आय लोच की श्रेणियों को सचित्र समझाइये।
  52. प्रश्न- स्थानापन्न, पूरक तथा स्वतन्त्र वस्तुओं में मांग की आड़ी लोच को समझाइए।
  53. प्रश्न- माँग की लोच को प्रभावित करने वाले तत्व क्या हैं
  54. प्रश्न- माँग की लोच को मापने की मुख्य विधियों की व्याख्या कीजिए।
  55. प्रश्न- माँग की लोच के प्रकार बताइए।
  56. प्रश्न- माँग की लोच के विचार का महत्व समझाइए।
  57. प्रश्न- उपयोगिता का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  58. प्रश्न- उपयोगिता के प्रकार बताइए।
  59. प्रश्न- उपयोगिता की विशेषतायें बताइए।
  60. प्रश्न- उपयोगिता का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके प्रकारों एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- सीमान्त उपयोगिता से आप क्या समझते हैं?
  62. प्रश्न- "जैसे-जैसे किसी वस्तु की अधिक इकाइयों का उपयोग किया जाता है तो कुल उपयोगिता अंत में घटती हुयी दर से बढती है।' विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम की मान्यताएँ बताइए।
  64. प्रश्न- सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम के अपवाद तथा सीमाओं की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  65. प्रश्न- सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- सम-सीमान्त उपयोगिता नियम की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  67. प्रश्न- सम-सीमान्त उपयोगिता नियम की मान्यताओं को बताइये।
  68. प्रश्न- सम-सीमान्त उपयोगिता नियम की सीमाओं की विवेचना कीजिए।
  69. प्रश्न- सम-सीमान्त उपयोगिता नियम के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  70. प्रश्न- "उपयोगिता एक क्रमवाचक विचार है न कि गणनावाचक विचार।' स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- सीमान्त उपयोगिता व कुल उपयोगिता में सम्बन्ध समझाइए।
  72. प्रश्न- सीमान्त उपयोगिता और कुल उपयोगिता में अन्तर बताइए।
  73. प्रश्न- तटस्थता वक्र को परिभाषित कीजिए।
  74. प्रश्न- तटस्थता वक्र विश्लेषण की मान्यतायें बताइए।
  75. प्रश्न- तटस्थता वक्र विश्लेषण की विशेषताओं को बताइए।
  76. प्रश्न- कीमत प्रभाव से आप क्या समझते हैं? चित्र सहित समझाइये।
  77. प्रश्न- कीमत उपभोग वक्र को चित्र सहित समझाइये।
  78. प्रश्न- कीमत, आय एवं प्रतिस्थापन प्रभाव का सम्बन्ध दर्शाइये।
  79. प्रश्न- आय प्रभाव से आप क्या समझते हैं?
  80. प्रश्न- आय प्रभाव कितने प्रकार का होता है?
  81. प्रश्न- प्रतिस्थापन की लोच से आप क्या समझते है? यह कितने प्रकार की होती है?
  82. प्रश्न- प्रतिस्थापन की लोच कितने प्रकार की होती है?
  83. प्रश्न- घटती हुयी सीमान्त प्रतिस्थापन दर की सचित्र व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- तटस्थता वक्र बाएं से दाएं नीचे की ओर गिरता है।' स्पष्ट कीजिए।
  85. प्रश्न- तटस्थता वक्र द्वारा उपभोक्ता सन्तुलन की शर्तों को समझाइए।
  86. प्रश्न- उपभोक्ता वेशी की परिभाषा दीजिए। इसे आप किस प्रकार मापेंगे?
  87. प्रश्न- तटस्थता वक्र क्या है? उपभोक्ता के सन्तुलन को तटस्थता वक्र द्वारा समझाइये।
  88. प्रश्न- बजट रेखा को समझाइये।
  89. प्रश्न- तटस्थता वक्रों से माँग वक्र का व्युत्पादन समझाइये।
  90. प्रश्न- उदासीनता वक्रों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- उदासीनता वक्र विश्लेषण के दोष बताइए।
  92. प्रश्न- 'गिफिन वस्तुओं' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- सीमान्त प्रतिस्थापन पर घटती हुई क्यों होती है?
  94. प्रश्न- 'एंजेल वक्र' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  95. प्रश्न- तटस्थता वक्रों की सहायता से मूल्य प्रभाव का आय प्रभाव तथा प्रतिस्थापन प्रभाव में विखण्डन कीजिए। इसे x तथा y अक्ष पर कैसे प्रदर्शित किया जाएगा?
  96. प्रश्न- सीमान्त प्रतिस्थापन दर को समझाइए।
  97. प्रश्न- तटस्थता तालिका पर टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- क्या आपके विचार से तटस्थ वक्र रेखा प्रणाली मार्शल के उपयोगिता विचार से श्रेष्ठ है? अपने उत्तर का औचित्य दीजिए।
  99. प्रश्न- किसी वस्तु की कीमत निर्धारण में समय तत्व के महत्व का परीक्षण कीजिए।
  100. प्रश्न- आय प्रभाव ऋणात्मक भी हो सकता है। समझाइये।
  101. प्रश्न- प्रकटित अधिमान सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
  102. प्रश्न- प्रकटित अधिमान सिद्धान्त की मान्यताएँ बताइये।
  103. प्रश्न- प्रकटित अधिमान सिद्धान्त को रेखाचित्र की सहायता से समझाइये।
  104. प्रश्न- प्रकटित अधिमान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
  105. प्रश्न- उपभोग सिद्धान्त की आधारभूत प्रमेय बताइये।
  106. प्रश्न- प्रकटित अधिमान सिद्धान्त की मार्शल के उपयोगिता विश्लेषण तथा जे आर हिक्स के उदासीनता वक्र विश्लेषण पर श्रेष्ठता बताइये।
  107. प्रश्न- उत्पादन फलन की व्याख्या कीजिए। अल्पावधि एवं दीर्घावधि के उत्पादन फलन में क्या अंतर है?
  108. प्रश्न- उत्पादन फलन की विशेषताएँ बताइए।
  109. प्रश्न- उत्पादन फलन की मान्यताएँ बताइए।
  110. प्रश्न- अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन उत्पादन फलन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- समोत्पाद वक्रों का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा उनकी विशेषताएँ बताइये।
  112. प्रश्न- समोत्पाद वक्र की मान्यताएँ बताइये।
  113. प्रश्न- समोत्पाद वक्रों एवं उदासीनता वक्रों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- समोत्पाद वक्रों की विशेषताएँ बताइये।
  115. प्रश्न- उत्पादन फलन कितने प्रकार के होते हैं?
  116. प्रश्न- अल्पकालीन उत्पादन फलन से आप क्या समझते हैं?
  117. प्रश्न- दीर्घकालीन उत्पादन फलन से आप क्या समझते हैं?
  118. प्रश्न- ऋजु रेखाओं को समझाइए।
  119. प्रश्न- कॉब डगलस उत्पादन-फलन की व्याख्या कीजिए।
  120. प्रश्न- "समोत्पाद वक्र का केवल वही भाग उत्पादन के लिये उपयुक्त है जो परिधि रेखाओं के बीच में आता है।' स्पष्ट कीजिए।
  121. प्रश्न- उत्पत्ति वृद्धि नियम से आप क्य समझते हैं?
  122. प्रश्न- उत्पत्ति वृद्धि नियम की क्रियाशीलता के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  123. प्रश्न- परिवर्तनशील अनुपातों के नियम का कथन दीजिए और उसकी व्याख्या कीजिए।
  124. प्रश्न- उत्पत्ति ह्रास नियम की मान्यताओं को बताइये।
  125. प्रश्न- उत्पत्ति ह्रास नियम के क्षेत्र की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  126. प्रश्न- उत्पति ह्रास नियम का क्या महत्व है?
  127. प्रश्न- उत्पत्ति ह्रास नियम का प्रयोग किन-किन क्षेत्रों में होता है?
  128. प्रश्न- परिवर्तनशील अनुपातों के नियम तथा पैमाने के प्रतिफल में क्या अन्तर है? सचित्र व्याख्या कीजिए।
  129. प्रश्न- उत्पादन ह्रास नियम को समझाइये।
  130. प्रश्न- उत्पत्ति के नियम किसे कहते हैं?
  131. प्रश्न- पैमाने के स्थिर प्रतिफल क्या हैं?
  132. प्रश्न- पैमाने के स्थिर प्रतिफल के कारण बताइये?
  133. प्रश्न- पैमाने के घटते हुए प्रतिफल क्या हैं?
  134. प्रश्न- पैमाने के घटते हुए प्रतिफल के क्या कारण हैं?
  135. प्रश्न- पैमाने के प्रतिफल से आप क्या समझते हैं?
  136. प्रश्न- बड़े पैमाने की उत्पत्ति से क्या अभिप्राय है?
  137. प्रश्न- पैमाने के बढ़ते हुए प्रतिफल क्या हैं?
  138. प्रश्न- बढ़ते हुए पैमाने के प्रतिफल को लागू होने के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  139. प्रश्न- 'विस्तार पथ' की सचित्र व्याख्या कीजिए।
  140. प्रश्न- पैमाने के प्रतिफल के निर्धारक तत्वों को बताइए।
  141. प्रश्न- मौद्रिक लागत से आप क्या समझते हैं?
  142. प्रश्न- वास्तविक लागत की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  143. प्रश्न- अवसर लागत को स्पष्ट कीजिए।
  144. प्रश्न- अवसर लागत का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  145. प्रश्न- अवसर लागत के विचार की आलोचनायें कीजिए।
  146. प्रश्न- कुल लागत का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  147. प्रश्न- स्थायी लागत से आप क्या समझते हैं?
  148. प्रश्न- परिवर्तनशील लागत से आप क्या समझते हैं?
  149. प्रश्न- वास्तविक लागत तथा अवसर लागत के अन्तर स्पष्ट कीजिए। अवसर लागत के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  150. प्रश्न- सीमान्त लागत का अर्थ बताइए।
  151. प्रश्न- लागत वक्र U-आकृति के क्यों होते हैं?
  152. प्रश्न- औसत लागत वक्र तथा सीमान्त लागत वक्र का आकार की तरह क्यों होता है?
  153. प्रश्न- "परिवर्तनशील कुल लागत, कुल लागत तथा स्थिर लागत में अन्तर होता है।" चित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  154. प्रश्न- मूल्य तल (Price Floors) को समझाइये।
  155. प्रश्न- मूल्य सीमा (Price Ceilings) को समझाइये।
  156. प्रश्न- बाजार से आप क्या समझते है?
  157. प्रश्न- क्षेत्र के आधार पर बाजार का वर्गीकरण कीजिए।
  158. प्रश्न- समय के आधार पर बाजार का वर्गीकरण कीजिए।
  159. प्रश्न- प्रतियोगिता के आधार पर बाजार का वर्गीकरण कीजिए।
  160. प्रश्न- बाजार के विस्तार को प्रभावित करने वाले तत्वों को बताइए।
  161. प्रश्न- पूर्ण प्रतियोगिता से आप क्या समझते हैं?
  162. प्रश्न- पूर्ण प्रतियोगिता की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  163. प्रश्न- पूर्ण प्रतियोगिता के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  164. प्रश्न- पूर्ण प्रतियोगिता के लिए किन-किन दशाओं की आवश्यकता है? समझाइये।
  165. प्रश्न- पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत फर्म के सन्तुलन को स्पष्ट कीजिए।
  166. प्रश्न- पूर्ण प्रतियोगिता में अल्पकाल में फर्म लाभ, हानि या शून्य लाभ किसी भी स्थिति को प्राप्त कर सकती है, किन्तु दीर्घकाल में वह केवल शून्य लाभ की ही स्थिति की प्राप्त करेगी। इस कथन को चित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  167. प्रश्न- पूर्ण रूप से व्याख्या कीजिए कि पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत मूल्य का निर्धारण किस प्रकार होता है?
  168. प्रश्न- पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत दीर्घकाल में मूल्य कैसे निर्धारित होता है?
  169. प्रश्न- पूर्ण प्रतियोगिता एवं विशुद्ध प्रतियोगिता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  170. प्रश्न- "पूर्ण प्रतियोगिता की दशा में फर्म की समस्या केवल उत्पादन की मात्रा निर्धारित करना है। स्पष्ट कीजिए।
  171. प्रश्न- "पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत माँग रेखा OX अक्ष रेखा के समान्तर होती है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  172. प्रश्न- अपूर्ण प्रतियोगिता से आप क्या समझते हैं?
  173. प्रश्न- एकाधिकृत प्रतियोगिता के अंतर्गत मूल्य निर्धारण किस प्रकार होता है?
  174. प्रश्न- एकाधिकृत प्रतियोगिता में फर्म के अल्पकालीन साम्य को स्पष्ट कीजिए।
  175. प्रश्न- एकाधिकृत प्रतियोगिता में फर्म का दीर्घकालीन साम्य को स्पष्ट कीजिए।
  176. प्रश्न- पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में अन्तर बताइये।
  177. प्रश्न- एकाधिकार और एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में अन्तर लिखें।
  178. प्रश्न- अल्पाधिकार से आप क्या समझते हैं?
  179. प्रश्न- अल्पाधिकार की विशेषतायें बताइए।
  180. प्रश्न- अल्पाधिकार के अन्तर्गत कीमत निर्धारण किस प्रकार होता है?
  181. प्रश्न- अल्पाधिकारी फर्म अपने विक्रयों को कैसे अधिकतम करती है। बॉमोल का विक्रय अधिकतमीकरण मॉडल लाभ अधिकतमीकरण मॉडल से कैसे श्रेष्ठ है?
  182. प्रश्न- अल्पाधिकार के 'विकुंचित माँग वक्र' सिद्धान्त को समझाइए।
  183. प्रश्न- कूर्नो मॉडल की आलोचनाएँ क्या हैं?
  184. प्रश्न- कम लागत कीमत नेतृत्व मॉडल समझाएँ।
  185. प्रश्न- कीमत दृढ़ता से आप क्या समझते हैं?
  186. प्रश्न- बैरी मीट्रिक कीमत नेतृत्व मॉडल को समझाइए।
  187. प्रश्न- भेदभावपूर्ण एकाधिकार के अन्तर्गत मूल्य किस प्रकार निर्धारित होता है? मूल्य विभेद कब सम्भव एवं वांछनीय है?
  188. प्रश्न- एकाधिकार क्या है? एकाधिकार के अन्तर्गत कीमत का निर्धारण किस प्रकार होता है?
  189. प्रश्न- क्या एकाधिकारी मूल्य सदैव प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य से ऊँचा रहता है?
  190. प्रश्न- एकाधिकार शक्ति की माप पर एक टिप्पणी लिखिए।
  191. प्रश्न- कीमत विभेद से आप क्या समझते है?
  192. प्रश्न- कीमत विभेद कितने प्रकार का होता है?
  193. प्रश्न- कीमत विभेद के लाभ बताइए।
  194. प्रश्न- कीमत विभेद से हानियाँ बताइए।
  195. प्रश्न- विभेदकारी एकाधिकार क्या है? विभेदकारी एकाधिकारी बाजार में कीमत उत्पादन का निर्णय कैसे करता है?
  196. प्रश्न- राशिपातन कीमत विभेद की एक विशिष्ट दशा है। समझाइये।
  197. प्रश्न- सीमान्त लागत मूल्य निर्धारण के लाभ एवं हानियाँ का वर्णन कीजिये।
  198. प्रश्न- बाह्यताएँ क्या हैं? स्पष्ट कीजिए।
  199. प्रश्न- सीमान्त लागत मूल्य निर्धारण क्या है?
  200. प्रश्न- सार्वजनिक वस्तुओं का अर्थ बताइये।
  201. प्रश्न- प्रतिकूल चयन का अर्थ बताइये।
  202. प्रश्न- नैतिक खतरा क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  203. प्रश्न- प्रतिकूल चयन और नैतिक जोखिम के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।
  204. प्रश्न- सामाजिक चयन का क्या अर्थ है?
  205. प्रश्न- अपूर्ण सूचना क्या है?
  206. प्रश्न- बाजार विफलता का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं बाजार विफलता के कारण बताइये।
  207. प्रश्न- बाजार विफलता को ठीक करने के उपाय बताइये।
  208. प्रश्न- वितरण के सीमान्त उत्पादकता सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  209. प्रश्न- वितरण के सीमान्त उत्पादकता सिद्धान्त की मान्यताएँ बताइए।
  210. प्रश्न- वितरण के सीमान्त उत्पादकता सिद्धान्त की आलोचनाएँ बताइए।
  211. प्रश्न- सीमान्त भौतिक उत्पादकता से आप क्या समझते हैं?
  212. प्रश्न- वितरण का आधुनिक सिद्धान्त समझाइए।
  213. प्रश्न- "वितरण का सिद्धान्त मुख्यतः एक मूल्य सिद्धान्त है।' विवेचना कीजिए तथा परीक्षण कीजिए कहाँ तक मूल्य का सिद्धान्त वितरण के सिद्धान्त में प्रयोग किया जा सकता है?
  214. प्रश्न- मजदूरी के आधुनिक सिद्धान्त को समझाइये।
  215. प्रश्न- मजदूरी किस प्रकार निर्धारित होती है? श्रम संघ मजदूरी की दर को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
  216. प्रश्न- लगान के आधुनिक सिद्धान्त के प्रमुख तत्वों की विवेचना कीजिए।
  217. प्रश्न- लगान उत्पन्न होने के कारणों को बताइए।
  218. प्रश्न- लगान के आधुनिक सिद्धान्त की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  219. प्रश्न- मजदूरी क्या है? इसको प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  220. प्रश्न- लगान के आधुनिक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  221. प्रश्न- सामाजिक कल्याण फलन से क्या आप समझते हैं? वर्णन कीजिये।
  222. प्रश्न- पैरेटो अनुकूलतम से क्या अभिप्राय है? उपयुक्त चित्रों द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  223. प्रश्न- प्रतियोगी बाजार में पैरेटो द्वारा निर्धारित 'सर्वोत्तम संयोग' की शर्तों को स्पष्ट कीजिए।
  224. प्रश्न- कल्याणकारी अर्थशास्त्र को समझाइये।
  225. प्रश्न- कल्याणकारी अर्थशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषा बताइये।
  226. प्रश्न- कल्याणकारी अर्थशास्त्र की प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
  227. प्रश्न- कल्याणकारी अर्थशास्त्र वास्तविक अर्थशास्त्र से किस प्रकार से भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।
  228. प्रश्न- प्रो. पीगू द्वारा सामान्य कल्याण एवं आर्थिक कल्याण में भेद को स्पष्ट कीजिए।
  229. प्रश्न- व्यक्तिगत कल्याण तथा सामाजिक कल्याण को स्पष्ट कीजिए।
  230. प्रश्न- सामाजिक कल्याण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  231. प्रश्न- क्या सामाजिक कल्याण की माप सम्भव है? स्पष्ट कीजिए।
  232. प्रश्न- पैरेटो का कल्याणकारी अर्थशास्त्र स्पष्ट कीजिए।
  233. प्रश्न- पैरेटो के कल्याणकारी अर्थशास्त्र का मूल्यांकन कीजिए।
  234. प्रश्न- पैरेटो की अनुकूलतम मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए।
  235. प्रश्न- पैरेटो के कल्याणकारी अर्थशास्त्र की आलोचना कीजिए।
  236. प्रश्न- सामाजिक कल्याण फलन किस प्रकार मूल्य निर्णयों पर आधारित है?
  237. प्रश्न- सामाजिक कल्याण फलन की विशेषताएँ लिखिए।
  238. प्रश्न- सामाजिक कल्याण फलन की आलोचना कीजिए।
  239. प्रश्न- सामाजिक कल्याण फलन की मान्यताएँ बताइये।
  240. प्रश्न- नवीन कल्याणकारी अर्थशास्त्र क्या है? व इसकी मान्यताएँ क्या है?

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